श्रद्धेय विष्णु जी महाराज

श्रद्धेय विष्णु शांडिल्य का परिचय– विष्णु शांडिल्य का जन्म 2 नवंबर 1985 मे वशिष्ठ गौत्र के शांडिल्य ब्राह्मण परिवार में भारत देश के टोंक जिले के निवाई तहसील में हरभगतपुरा छोटे से गांव में गरीब परिवार में हुआ जो कि संत सेवा एवं गोसेवा के लिए प्रसिद्ध स्थान है। बाल्यकाल से इन्होंने गुरूकुल वेदाश्रम मे अध्ययन किया। तथा गुरू -शिष्य परम्परा के द्वारा वेद-वेदान्त एवं शास्त्रों तथा उपनिषदो का ज्ञान अर्जित किया। पिता श्री प्रभु नारायण जी संतों की सेवा एवं गोसेवा मैं सदा अग्रणी रहे और पिता जी की आज्ञा से विष्णु शांडिल्य महाराज बाल्यकाल से ही संत श्री परम श्रद्धेय श्री श्री 1008 हनुमान दास जी महाराज हनुमान आश्रम जयपुर की सेवा में रखा और गुरु सेवा करते हुए कुछ ही समय बाद महाराज श्री का 2003 में देवलोक गमन हो गया और आश्रम की सारी जिम्मेदारी विष्णु शांडिल्य के ऊपर आ गई और बाल्यकाल से ही आश्रम की सारी जिम्मेदारियों का ठाकुर सेवा का गोसेवा का एवं ब्राह्मण बच्चों का वेद अध्ययन एवं सांस्कृतिक आयोजन करते हुए सारी व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित रखा तथा ब्राह्मण महासभा द्वारा “ब्राह्मण रत्न” एवं “वैदिक” उपाधि से सम्मानित हुए।

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